भाषा के दो पक्ष होते हैं एक शब्द दूसरा व्याकरण .आपकी व्याकरण गलत होती है तो चल जाता है लेकिन शब्द का गलत अर्थ जानने से संवाद और ज्ञान दोनों अकल्याणकारी हो जाते है क्योंकि शब्द के अर्थ की गलत जानकारी अर्थ का अनर्थ कर देती है इसीलिए जब आप विज्ञानं की कक्षा में प्रवेश लेते हैं तो आपका अध्यापक सबसे पहले यही कहता है कि व्याकरण गलत चल जाता है लेकिन वैज्ञानिक शब्द का सही अर्थ जानना जरूरी है अतः सबसे पहली शुरुआत यहीं से करें यानी शब्द-क़ोश में वृद्धि करें.मैं नारद भी अपनी बातों में संस्कृत जन्य हिदी शब्दों का उपयोग कर रहा हूँ उधर वेद्व्यय्स तो और भी कठिन शब्दों का उपयोग कर रहे हैं अतः इस ब्लॉग पर एक पंथ दो काज करते हैं.शब्द-क़ोश का शब्द क़ोश और आज हमें भारत में निर्दलीय राजनीति क्यों चाहिए इसके तर्क संगत कारण भी.
मज़ेदार उदाहरण :
जब जाट अंग्रेज़ों की फ़ौज में भर्ती हुआ तो अंग्रेज़ी व्याकरण तो सीख गया लेकिन अंग्रेज़ी शब्दों में कुछ चक्कर रह गया .एक दिन एजुकेशन हवलदार ने आकाश की तरफ संकेत करके पूछा:"व्हाट इज दिस " तो जाट बोला "सर, द कबूतर इज़ फ्लाईंग इन द आकाश " और वह पास कर दिया गया .
आप कहते हैं :'कबूतर उड़ता आकाश' ,'कबूतर आकाश में उड़ता','कबूतर उडती' ,'कबूतर उड़ रहे','कबूतर उड़ते' इत्यादि में व्याकरण की अशुद्धि तो चल जाती हैलेकिन यदि आप कबूतर और आकाश का अर्थ नहीं जानते तो नहीं चलेगा.
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